जीना विल्किंसन
पूरे भारत में जब सख्त लॉकडाउन के शुरुआती दिन बीते ही थे तभी देश के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड ऑनलाइन हेल्थ प्लेटफॉर्म ‘1एमजी-इंडिया’ के सह-संस्थापक और सीईओ प्रशांत टंडन ने कह दिया था कि “अनिश्चितता ही अब नया पैमाना है”। उनकी कंपनी स्वास्थ्य से जुड़े कई उत्पाद और सेवाएं उपलब्ध कराती है, जिनमें हर महीने 1.5 करोड़ ग्राहकों के लिए दवाएं और तमाम तरह के लैब टेस्ट शामिल हैं।
कोविड-19 वायरस जैसे ही दुनिया भर में फैलने लगा, टंडन और ‘1एमजी’ की उनकी मैनेजमेंट टीम ने भांप लिया कि दवाओं, सैनिटाइजरों, मास्कों की मांग तो बढ़ेगी ही, ऑनलाइन मेडिकल परामर्श के लिए मांग करने वाले चिंतित ग्राहकों की संख्या भी बढ़ेगी।
इसलिए, जब प्रधानमंत्री ने 24 मार्च को घोषणा की कि केवल चार घंटे बाद ही कोई भी 21 दिनों तक अपने घर से बाहर नहीं निकल सकेगा, तो कंपनी ने राहत की सांस ली कि उसने इस लॉकडाउन के लिए जितनी मुमकिन थी उतनी तैयारी कर ली है।
लेकिन उन्होंने यह अनुमान नहीं लगाया था कि जरूरी चीज़ें वितरित करने वाली उनकी टीमों को बाधाओं का सामना करना पड़ेगा, और स्थानीय पुलिस अफसरों को सरकारी आदेश के अनुसार नया लॉकडाउन लागू करने में समय लगेगा। सरकारी आदेश के मुताबिक उन्हें जरूरी चीजों के बेरोकटोक वितरण की छूट देनी थी। आदेश को लागू करने वाले अफसरों का इरादा तो सही काम करने का ही होता था लेकिन सूचनाओं की कमी रहने के कारण यह फैसला करना मौके पर तैनात पुलिस के जिम्मे ही था कि वह किसे आगे जाने की छूट दे। अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की खातिर ‘1 एमजी’ को वितरण का काम एक दिन के लिए रोकना पड़ा। किराने के सामान के ऑनलाइन ऑर्डर लेने वालों और दूसरी वितरण सेवाओं को भी अपना काम बंद करना पड़ा।
टंडन ने कहा, “हमारे कर्मचारी सरकार द्वारा स्वीकृत जरूरी सेवाएं देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कई जगहों पर पुलिसवालों ने हमारे कर्मचारियों के पास मौजूद सरकारी परमिट को देखने से भी इनकार कर दिया और उन्हें धक्का देकर हटा दिया या उनके साथ हिंसा तक की। इसके बाद हमने तुरंत सरकार से संपर्क किया और निरंतर कोशिश करके इस समस्या को जल्दी से सुलझाया”।
कंपनी ने स्थानीय भाषाओं में सरकारी यात्रा पास हासिल किए, अधिकारियों के साथ संपर्क करके पुलिसकर्मियों को यह विश्वास दिलाया कि ‘1 एमजी’ का काम आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल है। कंपनी ने अपने फ्रंटलाइन कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जिससे कि वे अपने मिशन और अपनी पहचान के बारे में आत्मविश्वास के साथ बात कर सकें। उन्हें 24 घंटे उपलब्ध रहने वाली स्थानीय सहायता का संपर्कसूत्र दिया गया ताकि जांच नाकों पर कोई मुश्किल पैदा हो तो वे उससे संपर्क कर सकें।
चौबीस घंटे बाद ही ‘1 एमजी’ ने भारत के 16 बड़े शहरों में वितरण का काम शुरू कर दिया। अगले 48 घंटे में 100 से ज्यादा शहरों में सेवाएं शुरू हो गईं। उम्मीद है कि कंपनी इस सप्ताह देश भर के 20,000 पोस्टल कोड पर वितरण शुरू कर देगी। टंडन ने कहा कि कर्मचारियों को सुरक्षा के साथ काम पर लौटाने में ‘1 एमजी’ का मजबूत संपर्क सूत्र काम आया, “आप जिस दायरे में काम करते हैं उसमें भागीदारी करने वालों से संबंध बनाना बेहद महत्वपूर्ण होता है। आज भले ही उनकी जरूरत न पड़े, मगर संपर्क बनाना और अलग-अलग संदर्भों-विचारों को समझना जरूरी है। यह सब कोई एक दिन में नहीं होता”।
1mg हर महीने 1.5 करोड़ ग्राहकों को स्वास्थ्य से संबंधित उत्पाद तथा सेवाएं देती है।
यह तो सिर्फ शुरुआत है
टंडन और उनकी मैनेजमेंट टीम ने पहले से ही एक कमान केंद्र बनाया था। ‘1 एमजी’ के फ्लेबोटोमिस्ट घर-घर जाकर खून आदि की जांच करने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हैं लेकिन उन्हें ज्यादा सख्त निर्देश, अतिरिक्त प्रशिक्षण दिए गए , और खुद अपने तथा ग्राहकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की चौकसी रखने के लिए तैयार किया गया। उन्हें ज्यादा मास्क, सैनिटाइजर और सेफ़्टी एड्स दिए गए।
‘1 एमजी’ के केन्द्रों में आने वाले हर व्यक्ति के लिए सैनिटाइजर का प्रयोग, थर्मल तापमान जांच अनिवार्य कर दिया गया। कंपनी के प्रत्येक कर्मचारी को तकलीफ होने पर 24 घंटे हेल्पलाइन पर डॉक्टर उपलब्ध हैं। देशभर में कंपनी के 57 ठिकानों पर तैनात टीमों से मैनेजमेंट रोज बात करता है।
टंडन ने कहा, “ऐसे समय में ही लीडरशिप का इम्तहान होता है, उसे अपनी टीम का हौसला बढ़ाते रहना होता है। उपभोक्ता, नागरिक, कर्मचारी, सभी चिंतित हैं, खासकर तब जबकि काम का बोझ अपने चरम पर है”। फ्लू और बुखार के मामलों को लेकर ऑनलाइन सलाह लेने वालों की संख्या में 440 प्रतिशत की बढ़ोतरी से निपटने के लिए नये डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही है। टंडन कहते हैं, “यह बढ़ोतरी तो सिर्फ शुरुआत भर है”। उन्होंने कहा कि कंपनी दवाओं के ऑर्डर की पूर्ति अपने ई-फार्मेसी प्लेटफॉर्म और ऑफलाइन फार्मेसियों के जरिए कर रही है। इसके अलावा, पार्टनरों के साथ मिलकर सप्लाइ चेन को दुरुस्त रखा जा रहा है।
फ्लू और बुखार सम्बंधित ई-परामर्श की मांग में भारी उछाल के चलते अधिक डॉक्टरों की भर्ती की जा रही है।
‘1 एमजी’ कोविड-19 की टेस्टिंग के सरकारी कार्यक्रम को भी सहारा देने की रणनीति बना रही है।
टंडन कहते हैं, “जांच इत्यादि हमारे कारोबार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमारा दल देश में सबसे बड़ा है, जिसमें 45 शहरों में 450 फ्लेबोटोमिस्ट तैनात हैं, जो मरीजों के घरों में जाकर उनकी जांच करते हैं। सभी बड़ी जांच लेबोरेटरियों से हमारा संपर्क है। इसलिए हम अब यह पता लगा रहे हैं कि घरों में जाकर जांच करने की व्यापक व्यवस्था के जरिए ‘1 एमजी’ का ढांचा कोविड-19 के फैलाव को रोकने में कितना मददगार हो सकता है”।
भारत अपने 1.3 अरब लोगों, खासकर कस्बों और गांवों में रहने वालों को जांच की अच्छी सुविधा मुहैया कराने की भारी चुनौती से निबटने की कोशिश में जुटा है। कोविड-19 की महामारी से पहले भी ‘1 एमजी’ द्वारा दी जाने वाली सेवाएं इसके ग्राहकों के लिए जीवनरेखा की तरह रही है। उनमें से अधिकतर ग्राहक पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए ‘1 एमजी’ द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का महीने-दर-महीने लाभ लेते रहे हैं। इसलिए ‘1 एमजी’ के लिए यह अहम हो जाता है कि वह अपनी डेलीवरी में सक्षम हो।
‘1 एमजी’ ने कोविड-19 के बारे में सही जानकारियां हासिल करने में भी लोगों की मदद की है। टंडन कहते हैं, “खतरनाक गलत जानकारियां वायरस से भी ज्यादा तेज गति से फ़ेल रही थीं”। ‘1 एमजी’ के डॉक्टरों की टीम ने मिलकर ‘कोरोना वायरस नो पैनिक हेल्प गाइड’ नामक निर्देशिका तैयार की, जिसे कई भाषाओं में जारी किया गया। यह उन कमजोर तबकों की मदद करने के प्रति ‘1 एमजी’ की प्रतिबद्धता का प्रमाण है जिन्हें कोविड-19 से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा है।
टंडन कहते हैं कि कोविड-19 के कारण पैदा हुई भारी एवं अप्रत्याशित चुनौतियों का दिन-रात मुक़ाबला करने के कारण उनकी कंपनी इस संकट के बाद और मजबूत बनकर उभरेगी। उन्होंने कहा कि इस महामारी के असर से स्वास्थ्य सेवाओं में आमूल परिवर्तन आएगा, “हम सब देख रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं का एक नया मॉडल उभर रहा है, जो कि रोगी को केंद्र में रखता है। ‘1 एमजी’ भी हमेशा से इसे ही सही तरीका बताता आया है। फार्मेसी, लैब्स और डॉक्टरों तक डिजिटल माध्यम से फौरन पहुंच ही अब नया कायदा बनने जा रहा है”।
“हम चुनौतियों और अड़चनों को फौरन निबटा देने की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह इम्तहान और बदलाव की घड़ी है। हमारे लिए मौका है कि हम परिवर्तन के दूत बनें और स्वास्थ्य सेवाओं के पूरे ढांचे को हमेशा के लिए बेहतर बना डालें”।
अप्रैल 2020 में प्रकाशित