1 फरवरी 2023 : आइएफसी ने एशिया एवं पैसिफिक के लिए रिकार्दो पुलिटी को अपने नये वाइस प्रेसिडेंट (उप-अध्यक्ष) के पद पर नियुक्त करने की आज घोषणा की. आइएफसी क्षेत्रीय स्तर पर निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने, और कई संकटों एवं वैश्विक आर्थिक अनुमानों में गिरावट के बीच अर्थव्यवस्था में पर्यावरण के लिए अनुकूल, लचीले और सर्वसमावेशी सुधार के जो प्रयास कर रही है उसकी पुलिटी निगरानी करेंगे.
एशिया एवं पैसिफिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं को कोविड-19 के कारण पैदा हुई अड़चनों, यूक्रेन पर रूसी हमले, वैश्विक वित्तीय स्थिति के संकटग्रस्त होने, और खाद्य सामग्री तथा ऊर्जा के संसाधनों की कीमतों में वृद्धि के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा विश्व बैंक की ताजा 'ग्लोबल इकोनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट' कहती है कि कमजोर वैश्विक आर्थिक वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की निरंतर विनाशकारी घटनाओं के कारण इस क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त होने का खतरा पैदा हो गया है.
एशिया एवं पैसिफिक के लिए आइएफसी के वाइस प्रेसिडेंट का पदभार संभालते हुए पुलिटी ने इस क्षेत्र के देशों की सीमित वित्तीय क्षमताओं के मद्देनजर निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
पुलिटी ने कहा, "वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस साल जिस तरह कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है उसके मद्देनजर इस क्षेत्र में और अधिक निजी निवेश की सख्त आवश्यकता है ताकि रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा हों और उत्पादन में वृद्धि हो. नये निवेश को प्रोत्साहन देने और आकर्षित करने के लिए सही नीतियां लागू करके ये देश निवेश की अपूर्ण रह गई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निजी क्षेत्र के वित्त का लाभ उठा सकते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "वास्तविकता यह है कि एशिया एवं पैसिफिक क्षेत्र ही नहीं बल्कि बाकी दुनिया के उभरते बाज़ारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भी निवेश में वृद्धि की दर पिछले दशकों में इसकी औसत दर के मुक़ाबले नीची बनी हुई है. इस स्थिति को उलटना ही होगा क्योंकि इतिहास बताता है कि निवेश में मजबूत वृद्धि लाभदायक होती है. यह जलवायु संबंधी लक्ष्यों; स्वच्छ, अक्षय और सस्ती ऊर्जा के विकास में प्रगति के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, उन अवसरों का लाभ उठाने के लिए भी आवश्यक है जो डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर (बुनियादी ढांचा) इस क्षेत्र के लोगों को उपलब्ध करा सकता है."
इटली के नागरिक, पुलिटी हाल तक विश्व बैंक में इन्फ्रास्ट्रक्चर शाखा के वाइस प्रेसिडेंट थे, और विकासशील एवं उभरते बाज़ारों में प्रभावी बुनियादी ढांचा के विकास के लिए विश्व बैंक के प्रयासों की अगुआई कर रहे थे. इससे पहले पुलिटी अफ्रीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर शाखा के रीज़नल डाइरेक्टर (क्षेत्रीय निदेशक) थे, और इससे पहले ग्लोबल डाइरेक्टर, इनर्जी ऐंड एक्सट्रेटिव्स थे. विश्व बैंक समूह से जुडने से पहले पुलिटी यूरोपियन बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट के प्रबंध निदेशक थे.
पुलिटी ने कहा, "एशिया एवं पैसिफिक उन सबसे कमजोर क्षेत्रों में से एक है, जिन्हें जलवायु के झटके लगते रहते हैं और यह वहां के अरबों लोगों की जिंदगी और आजीविका की रक्षा करने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है. इस क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में 10 खरब डॉलर मूल्य की जो विशाल खाई है उसे पाटने की भी आवश्यकता है. इस खाई के चलते बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं लोगों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाती हैं. आइएफसी जब वित्तीय समावेश, स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती, और छोटे व्यवसायों के लिए वित्त की उपलब्धता बढ़ाने के प्रयासों में जुटी है तब स्त्री-पुरुष समानता, डिजिटल विकास, और पूंजी की गतिशीलता को बढ़ाना भी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल हैं क्योंकि वे इस क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करने के प्रमुख आधार हैं."
"चुनौतियां गंभीर हैं, तो अवसर भी बड़े हैं. ये सब मिलकर, निजी क्षेत्र के साथ आइएफसी के उन प्रयासों के महत्व को मजबूती देते हैं जिनके तहत निवेश को, समुद्री प्रदूषण तथा जलवायु परिवर्तन से निबटने के नये 'ग्रीन ऐंड ब्लू' लेन-देन को बढ़ावा दिया जा रहा है और लोगों को गरीबी से ऊपर उठाने के प्रयासों में दोगुना ज़ोर डाला जा रहा है."
पुलिटी ने 'इन्स्टीट्यूटो सुपीरियर डि एस्टूडियोस डि ला एम्प्रेसा' (आइईएसई) से एमबीए किया और हारवर्ड यूनिवर्सिटी के केनेडी स्कूल ऑफ गवर्मेंट, और इम्पीरियल कॉलेज से पोस्ट-ग्रेजुएट किया.
आइएफसी के बारे में
वर्ल्ड बैंक ग्रुप का एक सदस्य आइएफसी सबसे बड़ा वैश्विक विकास संस्थान है, जो उभरते बाज़ारों के निजी क्षेत्र पर विशेष ध्यान देता है. हम 100 से ज्यादा देशों में अपनी पूंजी, विशेषज्ञता, और प्रभाव का उपयोग करते हुए विकासशील देशों में बाज़ारों तथा अवसरों के निर्माण के लिए सक्रिय हैं. वित्त वर्ष 2022 में आइएफसी ने विकासशील देशों में निजी कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं को रेकॉर्ड 32.8 अरब डॉलर उपलब्ध कराने का वादा किया ताकि निजी क्षेत्र की ताकत का इस्तेमाल घोर गरीबी को मिटाने और समृद्धि की साझीदारी को बढ़ावा देने में किया जा सके, जबकि अर्थव्यवस्थाएं बढ़ते वैश्विक संकटों के प्रभावों से जूझ रही हैं. ज्यादा जानकारी के लिए www.ifc.org. वेबसाइट देखें.
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